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भारत की किस घाटी का दूसरे लोक से माना जाता है संबंध, बरमूडा ट्राएंगल से क्‍यों होती है तुलना?

Mysterious Valley in India: भारत के सीमावर्ती इलाके में एक जगह शांगरी-ला घाटी है. ये घाटी तिब्बत और अरुणाचल की सीमा पर मौजूद है. पद्म विभूषण और साहित्य अकादमी से सम्‍मानित राजकीय संस्कृत कॉलेज वाराणसी के पूर्व प्राचार्य डॉ. गोपीनाथ कविराज ने अपनी किताब में इस जगह का जिक्र किया है. इस घाटी को बरमूडा ट्राएंगल की तरह ही दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगह माना जाता है. बताया जाता है कि इस जगह पर भू-हीनता का असर रहता है. यही नहीं, कुछ लोगों का मानना है कि इस घाटी का सीधा संबंध दूसरे लोक से है.

तंत्र साहित्य लेखक और विद्वान अरुण कुमार शर्मा ने भी अपनी किताब ‘तिब्बत की वह रहस्यमय घाटी’ में इस जगह का जिक्र किया है. किताब के मुताबिक, दुनिया में कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां भू-हीनता और वायु-शून्यता का असर महसूस होता है. ऐसी जगहों पर वायुमंडल के चौथे आयाम का असर रहता है. माना जाता है कि इन जगहों पर जाकर वस्तु या व्यक्ति का अस्तित्व दुनिया से गायब हो जाता है. ऐसी ही जगहों के तौर पर शांगरी-ला घाटी का भी नाम लिया जाता है.

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बरमूडा ट्रांएगल से तुलना क्‍यों?
शांगरी-ला घाटी की तुलना बरमूडा ट्राएंगल से की जाती है. बताया जाता है कि बरमूडा ट्राएंगल से गुजरने वाले पानी के जहाज और हवाई जहाज गायब हो जाते हैं. इस जगह को भू-हीनता के असर वाले क्षेत्रों में गिना जाता है. चीन की सेना ने इस जगह को तलाशने की कोशिश की, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. तिब्बती विद्वान युत्सुंग के मुताबिक, शांगरी-ला घाटी का संबंध अंतरिक्ष के किसी लोक से है. तिब्बती भाषा की किताब ‘काल विज्ञान’ में इस घाटी का जिक्र है. इसमें लिखा है कि दुनिया की हर चीज देश, काल और निमित्त से बंधी है, लेकिन इस घाटी में काल यानी समय का असर नहीं है. यहां प्राण, मन के विचार की शक्ति, शारीरिक क्षमता और मानसिक चेतना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. इस जगह को पृथ्वी का आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र भी माना जाता है.

क्‍या कभी कोई गया है शांगरी-ला?
आध्यात्म, तंत्र साधना और तंत्र ज्ञान से जुड़े लोगों के लिए यह घाटी भारत ही नहीं पूरी दुनिया में मशहूर है. युत्सुंग ने दावा किया था कि वह खुद शांगरी-ला घाटी गए थे. वह बौद्ध साधना से जुड़े खास शख्सियतों में गिने जाते थे. उनके मुताबिक, शांगरी-ला घाटी में ना तो सूर्य की रोशनी थी और ना ही चांद की चांदनी का वहां कोई अस्तित्‍व था. माहौल में बस एक दुधिया रोशनी फैली हुई थी. साथ ही वहां विचित्र सी खामोशी छाई हुई थी. युत्सुंग ने वाराणसी के तंत्र विद्वान अरुण शर्मा को बताया था कि वहां एक ओर मठों, आश्रमों और अलग-अलग आकृतियों के मंदिर थे. दूसरी ओर, दूर तक फैली हुई शांगरी-ला की सुनसान घाटी थी.

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महाभारत, रामायण में भी है जिक्र
शांगरी-ला घाटी को सिद्धाश्रम भी कहा जाता है. यहां के तीन साधना केंद्र प्रसिद्ध हैं. पहला ज्ञानगंज मठ, दूसरा सिद्ध विज्ञान आश्रम और तीसरा योग सिद्धाश्रम. सिद्धाश्रम का जिक्र महाभारत, वाल्मिकी रामायण और वेदों में भी किया गया है. सिद्धाश्रम का उल्‍लेख जेम्‍स हिल्‍टन की काल विज्ञान पुस्तक ‘लॉस्‍ट हॉरिजन’ में भी किया गया है. जेम्स हिल्टन ने किताब में इस रहस्यमय घाटी के बारे में लिखा है कि वहां लोग सैकड़ों साल तक जीवित रहते हैं. उनकी पुस्तक को पढ़कर कई देशी-विदेशी खोजियों ने शांगरी-ला घाटी का पता लगाने की कोशिश की, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली. कुछ हमेशा के लिए गायब हो गए. माना जाता है कि चीन की सेना एक लामा का पीछा करते हुए शांगरी-ला घाटी आई, लेकिन उसका पता नहीं लगा पाई.

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1.5 किमी लंबी है शांगरी-ला झील
घाटी के इलाके को पंगासाऊ भी कहा जाता है. ये म्यांमार की सीमा के काफी करीब है. बताया जाता है कि शांगरी-ला की झील करीब 1.5 किमी लंबी है. इसकी चौड़ाई अलग-अलग जगह पर अलग है. फिर भी अनुमान के मुताबिक, एक जगह पर इसकी अधिकतम चौड़ाई एक किमी है. माना जाता है कि प्राचीन समय में झील 2.5 किमी लंबी थी. तब ये झील स्तीलवेल रोड से शुरू होती थी. आजकल इसे लेदो रोड के नाम से जाना जाता है. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एक अमेरिकी विमान को रात के समय यहां इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी. पायलट को ये इलाका सपाट लगा था. लेकिन, इमरजेंसी लैंडिाग के दौरान विमान क्रैश हो गया और सभी लोग मारे गए. तब से कहा जाने लगा कि अगर कोई भी इस झील के पास जाता है तो लौटता नहीं है.

पंगासाऊ में कौन लोग रहते हैं?
पंगासाऊ इलाके में तंगसा ट्राइब्स के लोग रहते हैं. इस इलाके में रहने वाले लोगों को आधी रात के समय अक्सर यहां रहस्यमयी आवाजें सुनाई देती रहती हैं. कुछ लोगों का मानना है कि ये झील भू-चुंबकीय तरंगों से बंधी है. लिहाजा, इस झील की तस्‍वीर भी नहीं ली जा सकती है. वहीं, दुनिया की सबसे रहस्‍मयी जगह बरमूडा ब्रिटेन का उपनिवेश है. माना जाता है कि इसके आसपास सैकड़ों जहाज डूबे हैं. ये नॉर्थ अटलांटिक महासागर का हिस्सा है. इसकी सीमा में जाने वाले हवाई जहाज भी अचानक गायब हो चुके हैं. वैज्ञानिक कहते हैं कि वे इसका रहस्य खोलने तक पहुंच गए हैं, लेकिन अब तक कोई भी स्‍पष्‍ट दावा नहीं कर पाया है.

Tags: Arunachal pradesh, Interesting news, Research, Science facts

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