Dussehra 2022: लंकाधिपति, राक्षसराज, दशानन जैसे कई नामों से प्रसिद्ध रावण बहुत ही विद्वान था. लेकिन, वह जितना प्रकांड पंडित था, उतना ही अहंकारी भी था. उसे अपनी शक्ति, भगवान शंकर की भक्ति और सोने की लंका पर बहुत घमंड था. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को श्रीराम ने रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता को छुड़ाया था. तब से दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. दशहरा पर देशभर में रावण, उसके भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है. आज दशहरा है और इसे पूरे जोश के साथ मना रहे हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि रावण की मंदोदरी के अलावा कितनी पत्नियां और थीं? रावण वध के बाद मंदोदरी का क्या हुआ?
रावण के पूरे परिवार में सिर्फ दो लोग सीता के अपहरण और राम से युद्ध के खिलाफ थे. उनमें एक भाई विभीषण औऱ दूसरी पत्नी मंदोदरी थीं. दोनों रावण को लगातार समझाते रहे कि सीता को सम्मानपूर्वक राम को लौटा दो और युद्ध को टाल दो, लेकिन लंकाधिपति नहीं माने. फिर युद्ध हुआ और राम ने रावण का वध कर दिया. वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि जब रावण की युद्ध में मृत्यु होती है तो मंदोदरी कहती हैं, ‘अनेक यज्ञों का विलोप करने वाले, धर्म को तोड़ने वाले, देव-असुर व मनुष्यों की कन्याओं का हरण करने वाले आज तू अपने पाप कर्मों के कारण ही मृत्यु को प्राप्त हुआ है.’ रावण के वध के बाद राम ने लंका का राजपाट रावण के छोटे भाई विभीषण को सौंप दिया.
रावण की मंदोदरी समेत कितनी पत्नियां थीं?
लंकाधिपति रावण की पत्नी मंदोदरी को पतिव्रता धर्म का पालन करने के लिए देवी अहिल्या के बराबर माना जाता है. फिर भी मंदोदरी के अलावा रावण की दो पत्नियां थीं. दूसरे शब्दों में कहें तो उनकी कुल तीन पत्नियां थीं. रावण की पहली पत्नी और पटरानी का नाम मंदोदरी था. मंदोदरी राक्षसराज मयासुर की बेटी थीं. रावण की दूसरी पत्नी का नाम धन्यमालिनी था. तीसरी पत्नी के बारे में कहा जाता है कि रावण ने उसकी हत्या कर दी थी. इंद्रजीत, मेघनाद, महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष भीकम वीर मंदोदरी के पुत्र थे. धन्यमालिनी से अतिक्या और त्रिशिरार दो बेटों ने जन्म लिया था. तीसरी पत्नी के प्रहस्था, नरांतका और देवताका नाम के बेटे थे.

राजा रवि वर्मा ने अपनी इस पेंटिंग में मंदोदरी की सुंदरता को बखूबी उकेरा है. (विकी कामंस)
मंदोदरी और अप्सरा मधुरा में क्या है संबंध?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अप्सरा मधुरा कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की तलाश में पहुंची. उसने माता पार्वती को वहां ना पाकर शिव को रिझाने की कोशिश की. जब पार्वती वहां पहुंचीं तो उन्होंने क्रोधित होकर मधुरा को 12 साल तक मेंढक बने रहने और कुंए में रहने का शाप दिया. इसी समय कैलाश पर असुरराज मायासुर अपनी पत्नी के साथ बेटी की कामना लिए तपस्या कर रहे थे. दोनों ने 12 वर्ष तप किया. इसी समय मधुरा के शाप का अंत हुआ तो वह कुंए में रोने लगी. असुरराज और उनकी पत्नी उसी कुंए के नजदीक तपस्या कर रहे थे. जब दोनों ने मधुरा के रोने की आवाज सुनी तो असुरराज ने तपस्या छोड़कर उसे बाहर निकाला. पूरी सुनने के बाद दोनों ने मधुरा को ही अपनी बेटी मान लिया. फिर उन्होंने मधुरा का नाम बदलकर मंदोदरी कर दिया.
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मंदोदरी का रावण से कैसे हुआ विवाह?
असुरराज मायासुर के महल में मंदोदरी को राजकुमारी का जीवन मिला. इसी बीच एक दिन रावण मायासुर से मिलने महल पहुंचा. उसने मंदोदरी को देखा और मोहित हो गया. उसने मायासुर से मंदोदरी का हाथ मांगा. मायासुर ने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया तो क्रोधित रावण ने मंदोदरी का अपहरण कर लिया. दोनों राज्यों में युद्ध की स्थिति बन गई, लेकिन मंदोदरी जानती थी कि रावण उसके पिता से ज्यादा शक्तिशाली है. इसलिए मंदोदरी ने रावण के साथ रहना स्वीकार कर लिया. इसके बाद रावण ने मंदोदरी से विधि-विधान से विवाह किया और उन्हें अपनी पटरानी बनाया. वह रावण की पहली पत्नी थीं.
रावण वध के बाद मंदोदरी का क्या हुआ?
रावण की मृत्यु के बाद भगवान राम ने मंदोदरी और विभीषण के विवाह का प्रस्ताव रखा. मंदोदरी ने इस प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद एक बार भगवान राम सीता और हनुमान के साथ मंदोदरी को समझाने गए. तब ज्योतिष की प्रकांड विद्वान मंदोदरी को महसूस हुआ कि धार्मिक, तार्किक और नैतिक तौर पर देवर विभीषण से विवाह करना गलत नहीं होगा. इसके बाद उन्होंने विवाह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. हालांकि, रावण की मृत्यु के बाद पटरानी मंदोदरी के बारे में वाल्मीकि रामायण में ज्यादा कुछ नहीं बताया गया है, लेकिन रामायण के दूसरे संस्करणों में इस बारे में काफी कुछ लिखा गया है. वहीं, उसकी अन्य दोनों पत्नियां में एक की खुद रावण ने हत्या कर दी थी, जबकि तीसरी पत्नी के बारे में कहीं जिक्र नहीं मिलता है.

मंदोदरी शापित अप्सरा मधुरा थीं, जिन्हें असुरराज मायासुर ने अपनी बेटी माना और नाम बदलकर मंदोदरी कर दिया.
लंकाधिपति रावण के कितने भाई बहन थे?
रावण के दो भाइयों और एक बहन के बारे में आप सभी जानते होंगे. इनका नाम कुंभकर्ण, विभिषण और सुर्पनखा था. लेकिन, रावण के और भी भाई बहन थे. रावण के कुल छह भाई थे. इनमें विभीषण, कुम्भकर्ण के अलावा कुबेर, अहिरावण, खर और दूषण भी थे. साथ ही रावण की सूर्पनखा के अलावा एक बहन और भी थी, जिसका नाम कुम्भिनी था. वह मथुरा के राजा मधु राक्षस की पत्नी थी और राक्षस लवणासुर की मां थी. वहीं, खर-दूषण, कुम्भिनी, अहिरावण और कुबेर सगे भाई बहन नहीं थे.
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FIRST PUBLISHED : October 24, 2023, 09:31 IST